लाइफ इंश्योंरेंस पॉलिस के रद्द होने या छोडऩे पर होगा नुकसान
बहुत से लोग लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी बीच में ही छोड़ या खत्म कर देते हैं, जो उन्होंने आयकर की धारा 80सी के अंतर्गत छूट के लिए ली थी। यदि आपने ऐसा किया है तो आपको टैक्स के नियमों को सावधानी के साथ पढ़ने की जरूरत है। उदाहरण के लिए यदि आप महसूस करते हैं कि यह प्रोडक्ट आपकी जरूरतों के अनुसार उपयुक्त नहीं है तो आप उस पॉलिसी को सरेंडर करना तय कर लेते हैं। ऐसा करने पर आपको टैक्स बेनिफिट नहीं मिल पाएगा। टैक्स कानूनों के अनुसार यदि पॉलिसी को टर्मिनेट किया गया तो आपने जो दो साल तक प्रीमियम भरें हैं और टैक्स में जो राहत पहले दी गई थी, वह खत्म हो सकती है।
टैक्स बेनिफिट उस स्थिति में भी वापस लिए जा सकते हैं, जब कोई व्यक्ति बिना किस्त जमा किए पांच साल के लिए ली गई एक यूलिप (अनलिंक्ड पॉलिसी) को टर्मिनेट करता है। पॉलिसी दो तरह से टर्मिनेट की जा सकती है। इसे सरेंडर करके या प्रीमियम जमा नहीं करने पर यह टर्मिनेट हो जाती है।